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नॉर्मल डिलीवरी टिप्स, नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करना चाहिए
नॉर्मल डिलीवरी
जब भी कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो वह अपने पूरे गर्भावस्था के 9 महीने के में यही सोचती रहती है कि उसका नॉरमल डिलीवरी होगी सिजेरियन होगी आमतौर पर डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी की सलाह देते है परंतु नॉर्मल डिलीवरी के समय होने वाले दर्द के कारण आजकल की महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी को ज्यादा महत्व देते हैं परंतु डॉक्टरों की माने तो नॉर्मल डिलीवरी सिजेरियन डिलीवरी से अच्छी होती है और इसमें क्योंकि इसमें रिकवरी टाइम बहुत ही कम होता है इसमें महिला जल्दी रिकवर हो जाती है इसकी अपेक्षा सिजेरियन डिलीवरी में महिला को रिकवर होने के लिए महीनों लग जाते हैं तो आज हम जानेंगे कि नॉर्मल डिलीवरी क्या होती है और नॉर्मल डिलीवरी के लिए करवाने के लिए हम क्या क्या तरीके यूज कर सकते हैं
नॉर्मल डिलीवरी क्या है
यह डिलीवरी या प्रसवए ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें शिशु का जन्म महिला के योनि मार्ग से होता है जो कि एक प्राकृतिक रूप से होती है जिसमें महिला को किसी भी प्रकार की मेडिकल समस्या नहीं होती और किसी भी प्रकार की दवाई और इंजेक्शन नहीं लगाए जाते इस प्रकार के डिलीवरी को नॉर्मल डिलीवरी कहा जाता है
कुछ ऐसे कारक जो नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं
- यदि महिला की पहले भी नॉर्मल डिलीवरी हुई हो तो संभावना है कि महिला की अगली डिलीवरी भी नॉर्मल होगी
- यदि महिला और शिशु का वजन दोनों का वजन सामान्य हो तो संभावना होती है कि महिला की नॉर्मल डिलीवरी हो
- यदि गर्भवती महिला को किसी भी प्रकार की मेडिकल समस्या ना हो जैसे की अस्थमा आदि
- यदि गर्भवती महिला पूर्ण रूप से स्वस्थ हो और उसके खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य हो
- यदि गर्भवती महिलाको किसी भी प्रकार की मानसिक बीमारी ना हो तो महिला की डिलीवरी हो सकती है
- यदि महिला को गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की बीमारी ना हो जैसे कि ब्लड शुगर होना या ब्लड प्रेशर का जयादा होना
नॉर्मल डिलीवरी के संकेत और लक्षण normal delivery lakhshan
नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण |
- नॉर्मल डिलीवरी के होने के संकेत महिला में 4 हफ्ते पहले शुरू हो जाते हैं यानी कि 34 वे सप्ताह से शुरू हो जाते हैं जब बच्चा अपना सिर नीचे कर लेता है तो यह सबसे पहला लक्षण माना जाता है
- जब बच्चा नीचे की और क सिर कर लेता है तो वह नीचे की और दबाव डालता है जिसके कारण महिला को बार बार पेशाब आना शुरू हो जाता है यह भी एक नॉर्मल डिलीवरी का संकेत हो सकता है
- अगर भ्रूण का सिर नीचे की ओर आने से महिला को चलने फिरने में परेशानी होने लगती है एक संकेत होता है की महिला की डिलीवरी होने वाली है
- जब डिलीवरी का समय नजदीक आने लगता है तो उस समय गुदाद्वार की मांसपेशियां ढीली हो जाती है जिसके कारण मल पतला हो जाता है यह भी एक तरह का नार्मल डिलीवरी का संकेत होता है
- शिशु के निचले हिस्से में आ जाने के कारण उसकी मूवमेंट में कमी होना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना पीठ में दर्द होना और ऐंठन होना
नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है
विशेषकर नॉर्मल डिलीवरी की प्रक्रिया को तीन भागों में बांटा जाता है
पहला चरण ग्रीवा का खुल जाना
यह चरण नॉर्मल डिलीवरी से कुछ दिनों पहले या कुछ घंटो पहले शुरू हो जाती है इसमें इसमें ग्रीवा खुलना शुरू हो जाती है शुरुआत में कृपा 2 सेंटीमीटर से 3 सेंटीमीटर तक खुलता है जैसे-जैसे संकुचन बढ़ते रहते हैं और दर्द तेज होती हैं वैसे वैसे ग्रीवा खुलनी शुरू हो जाती हैं आखिर में गर्भाशय ग्रीवा 8 सेंटीमीटर से 10 सेंटीमीटर तक खुल जाती है इस समय संकुचन बहुत तेजी से होता है दर्द भी बहुत तेजी से होती है और यह समय होता है जब बच्चा पूरी तरह से नीचे आ जाता है और बाहर निकलने के लिए तैयार हो जाता है इस प्रक्रिया से गुजर रही महिलाओं के लिए कुछ टिप्स
- अपनी सांसों के व्यायाम पर ध्यान दें
- रिलेक्स रहे
- बीच-बीच में पानी पीते रहे
- अकेली ना रहे
- और इस समय तक हॉस्पिटल में पहुंच जाए ताकि डॉक्टर आपके बच्चे की धड़कन चेक कर सकें
दूसरा चरण बच्चे का बाहर आना
दूसरे चरण के दौरान गर्भाशय ग्रीवा पूरी तरह से खुल जाता है बच्चा नीचे आ जाता है डॉक्टर महिला को जोर लगाने के लिए कहता है और इस दौरान संकुचन की गति तेज आती है और बच्चा बाहर निकल जाता है पहले बच्चे का सिर आता है उसके बाद डॉक्टर बच्चे का पूरा शरीर बाहर निकालते हैं
इस से गुजर रही महिलाओं के लिए कुछ टिप्स
बच्चे को पुश करने की कोशिश बराबर करते रहें डॉक्टर के कहने पर ही बच्चे को पुश करें
अपनी सांसों को अच्छी प्रकार से लेते हैं किसी भी प्रकार की हड़बड़ी ना करें
तीसरा चरण गर्भनाल बाहर आ जाना
तीसरे चरण के दौरान डॉक्टर बच्चे को बाहर निकाल देते हैं तथा साथ ही गर्भनाल को बाहर निकालते हैं गर्भनाल वो होता है जो बच्चे के प्लेसेंटा के साथ जुड़ा होता है डॉक्टर गर्भनाल को काट देते हैं तथा प्लेसेंटा को निकालने की कोशिश करते हैं प्लेसेंटा को निकालने के लिए कम से कम आधे घंटे का समय लगता है इसमें महिला को हल्के संकुचन आते रहते हैं डॉक्टर महिला को जोर लगाने के लिए कहते हैं
नॉर्मल डिलीवरी में कितना समय लगता है
यदि महिला पहली बार गर्भवती है तो उसे नॉर्मल डिलीवरी में कम से कम 10 से 12 घंटे लग जाते हैं यदि महिला दूसरी बार गर्भवती होती है तो यह समय कम हो जाता है और कम से कम 6 से 8 घंटे का समय लगता है
नॉर्मल डिलीवरी टिप्स normAl delivery ke liye tips
Normal delivery tips |
- व्यायाम करना जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान नार्मल डिलीवरी कराने की चाहत रखते हैं उन्हें अपने गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करने की सलाह दी जाती है सुबह उठकर टहलने की सलाह दी जाती है और प्रेगनेंसी के आठवें महीने के बाद परिनियल एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है
- खुद को हाइड्रेटेड रखें यदि महिला पूरी गर्भावस्था के दौरान खूब सारा पानी पिएंगे तो उसका शरीर हाइड्रेटेड रहेगा जिसके कारण बहुत ज्यादा संभावनाएं बढ़ जाती है कि महिला की नॉर्मल डिलीवरी हो
- तनाव से दूर रहें यदि महिला चाहती है कि वह अपने नॉर्मल डिलीवरी करवाएं महिला को अपने गर्भावस्था के दौरान तनाव से दूर रहना चाहिए क्योंकि तनाव हमारे शरीर में हार्मोन में बदलाव करते हैं जिसके कारण यहां नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस को कम कर सकते हैं
- अच्छे से खानपान रखें गर्भावस्था के दौरान महिला को अपना अच्छा खानपान रखना चाहिए क्युकी यह महिला को एक नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार कर सके यदि महिला का खानपान अच्छा नहीं होगा तो बच्चा कमजोर भी हो सकता है या महिला को किसी समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है
- सांसों के व्यायाम की एक्सरसाइज करें यदि आप नॉर्मल डिलीवरी की इच्छा रखते हैं तो अपने तीसरी तिमाही के शुरुआत में है अपने सांसों के व्यायाम की एक्सरसाइज करना शुरू कर दें यह नॉर्मल डिलीवरी में बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है
- पेरिनियल एक्सरसाइज करें महिला जैसे ही अपने नौवें महीने में प्रवेश करती हैं उसे पेरिनियल एक्सरसाइज करने शुरू कर देनी चाहिए जिसमें बटरफ्लाई पोजिशन में बैठकर एक्सरसाइज करनी चाहिए
- पैरों के भार बैठकर कार्य करें जब महिला अपने नौवें महीने में प्रवेश कर लेती है तो उसे पैरों के भार बैठकर कार्य करने चाहिए जैसे कि पोछा लगाना चाहिए ऐसे में जो पेरिनियल मांसपेशियां होती है वह ढीली होना शुरू हो जाती है जो कि नॉर्मल डिलीवरी में बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है
- चलना फिरना और टहलना महिला को अपनी पूरी गर्भावस्था के दौरान चलते फिरते रहना चाहिए और सुबह उठकर हरी हरी घास पर टहलना भी चाहिए यह महिला को स्वस्थ रखती हैं
- आयरन कैल्शियम की भरपूर मात्रा लेना यदि महिला अपने गर्भावस्था के दौरान आयरन कैल्शियम की भरपूर मात्रा लेगी तो यह डिलीवरी के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होगा क्योंकि डिलीवरी के वक्त बहुत सा ब्लड लॉस होता है और यदि महिला को प्रेगनेंसी में एनीमिया यानी खून की कमी हो जाए तो यह एक बहुत समस्या बन जाती हैं इसलिए शरीर में आयरन की मात्रा होना बहुत जरूरी है
- किगल एक्सरसाइज करें यह एक्सरसाइज नॉर्मल डिलीवरी के लिए अच्छी होती है यहां जांघों की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है जिससे प्रसव पीड़ा कम होती है
- सही से जानकारी ले यदि आप नॉर्मल डिलीवरी की चाहत रखते हैं तो आपको सही प्रकार से नॉर्मल डिलीवरी की जानकारी होनी चाहिए इसके लिए आप अपने नजदीकी हॉस्पिटल में जाकर या अपनी आशा वर्कर से इस बारे में सलाह करें
- स्विमिंग करें नॉर्मल डिलीवरी के लिए स्विमिंग करना भी अच्छा विकल्प होता है यहां हृदय की गति को नियंत्रण में रखता है और मासपेशियों को मजबूत बनाता है
- एक सही डॉक्टर चुने पूरी गर्भावस्था के दौरान आपको अपना चेकअप करवाने के लिए एक सही डॉक्टर चुनना चाहिए जो आपको हर प्रकार के खानपान ,एक्सरसाइज व डिलीवरी में होने वाली समस्याओं के बारे में बताएं और जो कि सेजेरिन डिलीवरी को आखरी विकल्प समझे
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