diesese condition during pregnancy
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प्रेगनेंसी में एनीमिया (खून की कमी) लक्षण कारण और इलाज
एनीमिया
प्रे्नेंसी यानी कि गर्भावस्था एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें महिला को काफी परेशानियों से जूझना पड़ता है इस दौरान महिला के शरीर में शारीरिक बदलाव के साथ-साथ मानसिक बदलाव भी होते हैं जिसके कारण महिला को प्रेगनेंसी के दौरान जैसे उल्टी आना, चक्कर आना ,जी मिचलाना, पेट में दर्द, पीठ में दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसके साथ-साथ महिलाओं को एनेमिया जैसी समस्याओं से भी गुजरना पड़ता है तो आज हमें इस लेख में जानेंगे कि एनेमिया क्या होता है क्या इसके कारण है और कैसे हम इससे बच सकते हैं
एनीमिया क्या है
गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होना एक आम बात होती है वैसे तो हम आम भाषा में एनीमिया, खून की कमी को कहते है परंतु जब शरीर में लाल रक्त कोशिका जिन्हें हम रेड ब्लड सेल कहते हैं जो कि बोन मैरो में बनते है उन की कमी होने लग जाती है तब एनीमिया की शिकायत हो जाती है या ऐसा भी कह सकते हैं कि जब हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है उसे भी हम एनीमिया कहते हैं हीमोग्लोबिन यानी आयरन+प्रोटीन जिससे कि लाल रक्त कोशिकाओं का रंग बनता है एक स्वस्थ महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर 11-16g होता है हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने का काम करता है गर्भावस्था के दौरान आयरन की अधिक जरूरत होती है इसलिए खून की कमी होना एक स्वाभाविक सी बात होती है शरीर में रेड ब्लड सेल की कमी को पूरा करने के लिए आयरन , विटामिन बी12,और फोलिक एसिड की जरूरत होती हैं इनकी कमी से भी एनीमिया की शिकायत हो जाती है
एनीमिया के प्रकार
1/आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया
2/फोलेट एसिड (फोलिक एसिड की कमी से होने वाला एनीमिया)
3/विटामिन बी12 की कमी से होने वाला एनीमिया (मेगालोब्लासटीक) एनेमिया)
4/फोलिक एसिड और विटामिन बी12दोनों की कमी से होने वाला एनीमिया (मेक्रोसिटिक एनेमिया)
1/आयरन की कमी से होने वाला एनिमिया (आयरन डिफाइंसेंसी एनेमिया)- आयरन डिफीसनसी एनीमिया-शरीर में हीमोग्लोबिन की पर्याप्त मात्रा ना होने के कारण होती हैयह समस्या तब होती है जब शरीर को आयरन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है हिमोग्लोबिन हमारे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है यदि हमारे शरीर में आयरन की कमी हो जाए तो ऑक्सीजन हमारे शरीर के विभिन्न भागों तक नहीं पहुंच पाता जिसके कारण मां और बच्चे दोनों प्रभावित होते हैं
2/विटामिन B12 की कमी से होने वाला एनीमिया -विटामिन बी12 और कोबलामिंन की कमी से रेड ब्लड सेल का उत्पादन कम हो जाता है जो महिलाएं अपने डाइट में मांस मछली अंडा दूध दही का इस्तेमाल नहीं करते ज्यादातर उन्हें इस कमी का सामना करना पड़ता है इससे रेड ब्लड सेल का उत्पादन कम हो जाता है
3/फोलेट एसिड की कमी से होने वाला एनीमिया (फोलेट डिफिंसेंसी एनेमिया) फोलेट विटामिन बी का ही एक प्रकार होता है यह नए सेल्स बनाने में मदद करता है साथ ही साथ रेड ब्लड सेल्स को बनाने में भी मदद करता है फोलेट की गर्भावस्था में अधिक जरूरत होती हैं और इसकी कमी से बच्चे को जन्म समस्याएं होती हैं जैसे कि जन्म के समय वजन का कम होना ,न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट फोलेट के कमी से रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन में कमी आ जाती है
प्रेगनेंसी में आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के लक्षण
एनीमिया लक्षण |
- चेहरा पीला पड़ जाना
- थकान और कमजोरी महसूस होना
- चक्कर आना
- सांस लेने में दिक्कत होना
- धड़कन तेज होना
- स्किन ,नाखूनों का पीला पड़ जाना
- ज्यादा चल ना पाना चलते हुए सांस का फूल जाना
- हाथ पैरों का ठंडे पड़ जाना
- कोई भी काम सही प्रकार से नहीं कर पाना
- ध्यान केंद्रित ना कर पाना
यदि आपको गर्भावस्था के दौरान इनमें से किसी भी प्रकार का लक्षण दिखाई देता है तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह आगे जाकर और भी खतरे का निशान बन सकता है याद रखिए गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों को आयरन ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है इसलिए इनमे से किसी लक्षण को अनदेखा नहीं करना चाहिए वैसे आयरन विटामिन बी सप्लीमेंट्स को खाने से कुछ दिनों में इन लक्षणों को दूर किया जा सकता हैप्रेगनेसी मैं एनीमिया होनेे के कारणएनीमिया होने कई कारण हो सकते हैं जैसे कि- मां गर्भधारण करने से पहले ही एनीमिक हो
- गर्भ में 1 से अधिक बच्चे का होना ( ट्विन प्रेगनेसी)
- कम अंतराल में ही दूसरा गर्भधारण कर लेना
- कम उम्र में ही गर्भधारण कर लेना
- अच्छे से खानपान ना करना
- खाने में आयरन विटामिन बी की सप्लीमेंट्स को ना लेना
- मॉर्निंग सिकनेस का होना -कई महिलाओं को पहली तिमाही में उल्टियां जी मिचलाना देसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसके कारण महिलाओं के पेट में किसी भी प्रकार का खाना नहीं पचता और उन्हें उल्टियां होती है इस कारण में प्रेगनेंसी में एनीमिया हो सकता है
- यदि मां की पिछले गर्भधारण के समय एनीमिक हो तो यहां बहुत बड़ा कारण हो सकता है कि मैं अगले गर्भधारण में भी एनीमिक हो सकती हैं
- यदि मां की पिछले गर्भधारण में सर्जरी हुई हो तो यहां एक कारण बन सकता है कि अगले गर्भधारण में भी मा एनेमिक हो सकती है
एनीमिया में हीमोग्लोबिन की कमी को इस प्रकार मापा जाता है नॉर्मल एनीमिया - यदि हीमोग्लोबिन 10 g/dl से कम हो तोमॉडरेट एनीमिया -यदि हिमोग्लोबिन का लेबल 8 ग्राम से कम हो तोसिवियर एनीमिया -यदि हिमोग्लोबिन का लेवल 6 ग्राम हो तो या उससे कम हो तो यह बहुत ही खतने वाला एनीमिया होता है इससे मां और बच्चे दोनों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है
- मां गर्भधारण करने से पहले ही एनीमिक हो
- गर्भ में 1 से अधिक बच्चे का होना ( ट्विन प्रेगनेसी)
- कम अंतराल में ही दूसरा गर्भधारण कर लेना
- कम उम्र में ही गर्भधारण कर लेना
- अच्छे से खानपान ना करना
- खाने में आयरन विटामिन बी की सप्लीमेंट्स को ना लेना
- मॉर्निंग सिकनेस का होना -कई महिलाओं को पहली तिमाही में उल्टियां जी मिचलाना देसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसके कारण महिलाओं के पेट में किसी भी प्रकार का खाना नहीं पचता और उन्हें उल्टियां होती है इस कारण में प्रेगनेंसी में एनीमिया हो सकता है
- यदि मां की पिछले गर्भधारण के समय एनीमिक हो तो यहां बहुत बड़ा कारण हो सकता है कि मैं अगले गर्भधारण में भी एनीमिक हो सकती हैं
- यदि मां की पिछले गर्भधारण में सर्जरी हुई हो तो यहां एक कारण बन सकता है कि अगले गर्भधारण में भी मा एनेमिक हो सकती है
प्रेगनेंसी में एनीमिया का इलाज
एनेमिया ट्रीटमेंट |
1/गर्भावस्था के दौरान एनीमिया के इलाज के लिए डॉक्टर आयरन की गोलियां खाने की सलाह देते हैं
2/यदि एनेमिया सेवियर रूप से हो तो इसमें डॉक्टर रक्त चढ़ाने की सलाह देते हैं
3/प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर फॉलेट सप्लीमेंट देते हैं
4/गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने पर डॉक्टर आयरन का सप्लीमेंट देते हैं तथा आयरन के टीके भी लगाए जाते हैं
प्रेगनेंसी में एनीमिया का डाइट प्लान
चुकंदर -आयरन की कमी को पूरा करने के लिए चुकंदर खाना एक बहुत ही अच्छा माध्यम होता है चुकंदर का जूस बनाकर या सलाद बनाने से आयरन की कमी दूर हो जाती हैडॉक्टर प्रेगनेंसी के दौरान चुकंदर खाने की सलाह दी जाती है यह हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है
- केला -केले में भरपूर मात्रा में आयरन होता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान केला खाने से भी आयरन की कमी पूरी हो जाती है
- चोलाई और पालक -पालक में पर्याप्त मात्रा में आयरन विटामिन सी और फॉलेट एसिड होता है और गर्भावस्था के दौरान इसे खाना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है पालक की सब्जी बनाकर या सूप बना कर भी पिया जा सकता है यह फोन के स्तर को बढ़ाने में बहुत ही कारागार होता है
- सेब -गर्भावस्था के दौरान सेब का सेवन करने से कभी भी आयरन की कमी नहीं होती है इसलिए प्रेगनेंसी में सेब का सेवन जरूर करना चाहिए
- बीन्स -गर्भावस्था के दौरान सफेद बीन्स का प्रयोग करने से भी आदमी की कमी दूर हो जाती है
- मुनका -इसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन और विटामिन सी होता है इसलिए इसका सेवन करने से भी आरंभ की कमी को दूर किया जा सकता है
- विटामिन सी वाले पदार्थ -विटामिन सी वाले पदार्थों का सेवन करने से पूरे गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी से बचाव किया जा सकता है जैसे कि सेब संतरा आंवला आदि का सेवन करना चाहिए
- समय से पहले डिलीवरी हो जाना
- डिलीवरी के समय रक्त चढ़ाने की समस्या पैदा होना
- बच्चे का वजन कम होना
- डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो जाना
- डिलीवरी के बाद बच्चे में भी खून की कमी होना
यदि विटामिन बी की कमी से एनीमिया हुआ हो तो बच्चे में तत्रिका (ट्यूब डिफेक्ट) हो सकता है
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