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गर्भावस्था में स्तनों में दर्द,कारण ,इलाज breast pain in pregnancy

गर्भावस्था में स्तनों में दर्द,कारण ,इलाज breast pain in pregnancy

 गर्भावस्था में स्तनों में दर्द breast pain in pregnancy

गर्भ धारण करना हर एक महिला के लिए बहुत सुखद एहसास होता है और गर्भधारण करने के बाद महिला अपने बच्चे के साथ भावनात्मक रूप से  जुड़ जाती है परंतु गर्भधारण करने के  खुशी के साथ-साथ महिला को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें से एक समस्या होती है स्तनों में दर्द यहां गर्भधारण करने के कुछ समय बाद शुरू हो जाती है कई महिलाओं में यहां अधिक होती है तो कई महिलाओं में या ना के बराबर होती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान शरीर में अनेक प्रकार के हारमोंस बदलाव होते हैं

 आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि गर्भावस्था में स्तनों में दर्द क्यों होता है और कैसे इससे बचा जा सकता है ताकि आपको प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी भारी समस्या का सामना ना करना पड़े 

प्रेगनेंसी में पीठ दर्द के कारण

प्रेगनेंसी में स्तन दर्द , गर्भावस्था में ब्रेस्ट पैन

प्रेगनेंसी में स्तन दर्द होना एक आम समस्या होती है ऐसा इसलिए होता है कि गर्भावस्था के दौरान महिला के स्तन ब्रेस्ट फीडिंग यानी कि स्तनपान के लिए तैयार हो रहे होते हैं जो कि शरीर में होने वाले हार्मोन के बदलाव से होता है इससे  स्तन भारी होने लगते है और अधिक संवेदनशील हो जाते हैं और अगर उन पर हल्का सा भी कुछ लग जाए तो वह अधिक दर्द हो जाता है चाहे महज एक कपड़ा ही क्यों ना हो इससे स्तनों पर भारी दर्द होता है

स्तनों में दर्द होने के कारण 

हार्मोन बदलाव

हमारे शरीर में कई प्रकार के हार्मोन सोते हैं प्रेगनेंसी को बनाए रखने के लिए हमारे शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक दो हार्मोन होते हैं जो कि प्रेगनेसी को बनाए रखते हैं और स्तनों को भी स्तनपान के लिए तैयार करते हैं गर्भवती महिला के शरीर में शिशु के विकास के लिए कई हार्मोन परिवर्तन होते हैं जिसके कारण एस्ट्रोजन हार्मोन में भी बदलाव आता है और इससे स्तन भारी होने लग जाते हैं और स्तन दर्द शुरू हो जाता है

स्तनों का लीक होना ,ब्रेस्ट लीक यानी ब्रेस्ट से दूध लीक होना

गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में स्तनों में दूध बनना शुरू हो जाता है दूध वाली नलियां खुलने लगती है ब्लड फ्लो तेज हो जाता हैं  जिससे दूध लीक होने वाली समस्या होती है यह दूध पीले गाडे रंग का होता है जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है और वहां बच्चे को पोशाक देता है यहां बच्चे के लिए एंटीबायोटिक का काम करता है और  जब बच्चा जन्म लेता है तो उसका यह पहला दूध माना जाता है और यह बच्ची के लिए पहला टीकाकरण के समान होता है इसी कारण  से दूसरी और तीसरी तिमाही में स्तन भारी होने लग जाते हैं संवेदनशील हो जाते है और कभी-कभी दूध अधिक भर जाने के कारण सूजन भी हो सकती है

स्तनों में परिवर्तन

गर्भावस्था के दौरान स्तनों के आकार में परिवर्तन आता है ऐसा इसलिए होता है कि गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए महिला के स्तनों का विकास हो रहा होता है उनमें दूध बनना शुरू हो जाता है उनकी कोशिकाओं में वृद्धि होने लग जाती है जिसके कारण महिला के स्तनों में भारीपन आ जाता है और जैसे-जैसे डिलीवरी का समय नजदीक आता है यह दर्द अधिक बढ़ सकता है

फैब्रोसिस्टिक, यानी कि ब्रेस्ट में सिस्ट बनना

कई बार शरीर में हार्मोन के बदलाव के कारण एक या दोनों स्तनों में सिस्ट बनना शुरू हो जाता हैं यानी कि ब्रेस्ट में गांठ या सूजन जैसा महसूस होता हैजिसके के कारण स्तनों में दर्द होना शुरू हो जाता है यह मासिक धर्म में होने वाले  हार्मोन बदलाव के कारण भी हो सकता है क्योंकि यह स्तनों की टिशु को प्रभावित करते हैं क्योंकि हर मासिक धर्म के बाद हमारा शरीर गर्भावस्था के लिए तैयार होता है इसलिए कई बार सिस्ट भी बनने शुरू हो जाते हैं 

ब्रेस्ट पैन के लक्षण  breast pain symptoms in Hindi

  1. स्तनों का आकार बड़ना
  2. स्तनों में भारीपन आना
  3. Breast का अधिक संवेनशील होना 
  4. निप्पल का आकार बढ़ना
  5. स्तनों के दूध का निकलना
  6. स्तनों में सूजन आना।
  7. स्तनों को छूने पर दर्द होना
  8. स्तनों के आसपास का कलर चेंज होना
  9. स्तन के आस पास की नसों का उभर जाना
  10. ब्रेस्ट में गांठ बनना

 गर्भावस्था में स्तनों के दर्द , ब्रेस्ट पैन से बचने के उपाय  treatment of breast pain in Hindi

अच्छी ब्रा पहने

गर्भावस्था के दौरान महिला के स्तनों का आकार बदलता रहता है इसलिए महिला को अपने स्तन के आकार की ही अच्छी ब्रा पहननी चाहिए ब्रा अच्छी ओर मुलायम धार होनी चाहिए कई बार महिलाएं ब्रा का चयन नहीं सकती जिसके कारण उन्हें आगे जाकर समस्या का सामना करना पड़ता है इसलिए महिला को एक अच्छी ब्रा का चयन करना चाहिए

  स्पोर्ट्स ओर पेडेड ब्रा 

गर्भावस्था के दौरान महिला को सपोर्ट या पडेड ब्रा का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि यह गद्देदार होती है और इससे बड़े हुए स्तनों पर काफी आराम मिलता है 
रात को महिला को स्लीप ब्रा का इस्तेमाल करना चाहिए ये अधिक आरामदायक होती हैं
महिला को हमेशा कॉटन ब्रा का ही प्रयोग करना चाहिए

साफ सफाई का ध्यान रखना

गर्भावस्था के दौरान यदि महिला के ब्रेस्ट से दूध निकलता है तो तुरंत उसको साफ कर लेना चाहिए क्योंकि ऐसे में वहां पर इंफेक्शन होने का खतरा हो सकता है इसलिए महिला को अपने साफ-सफाई का भी विशेष करके ध्यान रखना चाहिए
नहाते वक्त महिला को निप्पल के आस पास साबुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए

खूब पानी पिएं

महिला को अपने गर्भावस्था के दौरान खूब पानी पीना चाहिए पानी से महिला का शरीर हाइड्रेटेड होता है और इसके इससे ब्रेस्ट में होने वाले दर्द में भी काफी आराम मिलता है क्योंकि शरीर से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं और यह शरीर में नमी को बनाए रखता है

नमक का सेवन कम करें

गर्भावस्था के दौरान वैसे ही महिलाओं को नमक का सेवन कम करने की सलाह दी जाती हैं क्योंकि इससे प्रेगनेसी में ब्लड प्रेशर बड़ने का खतरा होता है और जिससे ब्लड फ्लो बड़ जाता है जिससे स्तनों को दर्द बड़ने की समस्या हो सकती हैं

कैफ़ीन का सेवन ना करे

पहले तो गर्भावस्था के दौरान कैफीन का सेवन करने से मना किया जाता है परंतु यदि महिला को ब्रेस्ट में दर्द होने जैसी समस्या भी हो तो उसे कैफ़ीन का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए

वसा का सेवन न करना

यदि महिला को स्तनों में दर्द हो तो उससे वसा का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि वसा स्तनों में दूध की मात्रा को बड़ा देता है जिसके कारण दर्द अधिक महसूस हो सकता है

गर्म पानी का सेक करना

यदि महिला को स्तन में दर्द अधिक हो रहा हो तो गर्म पानी का सेक देना चाहिए ऐसे में स्तनों में यदि कोई गाठ भी हो तो वो भी खुल जाती है और स्तनों में होने वाले दर्द   में काफी हद तक आराम मिलता है

मालिश करना

यदि महिला का स्तन में दर्द हो रहा हो तो उसे हल्के हाथो से गर्म तेल से अपने ब्रेस्ट पर मालिश करनी चाहिए इससे दर्द में काफी हद तक आराम मिलता है


डॉक्टर से परामर्श करना

यदि महिला को ब्रेस्ट में अधिक दर्द है और  यह दर्द किसी भी तरह से कम नहीं हो रहा तो महिला को डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए क्योंकि कभी कभी दर्द किसी बड़ी बीमारी का भी संकेत हो सकती हैं

कब डॉक्टर के पास तुरंत जाना चाहिए यदि

  • स्तनों में भारी मात्रा में सूजन हो
  • स्तनों में भारी दर्द होना और एक ही जगह पर होना या लगातार दर्द का बढना
  • स्तनों में से किसी रंगीन डिस्चार्ज का निकलना
  • स्तनों का लाल होना
  • स्तनों पर दाद या खुजली होना
  • एक या दोनों स्तनों पर गाठ का होना

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