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प्रीमेच्योर बेबी केयर टिप्स, समय से पहले जन्मे बच्चों की देखभाल करना
प्रीमेच्योर बेबी केयर
गर्भावस्था एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें बच्चा मां के गर्भाशय में विकसित होता है गर्भावस्था के केवल अवधि 40 हफ्तों की होती है यानी कि 280 दिन की होती है उसी के बाद महिला एक हेल्थी बच्चे को जन्म देती है परंतु यदि किसी कारणवश 37 में हफ्ते से पहले ही बच्चे का जन्म हो जाए तो उसे प्रीमेच्योर बेबी कहा जाता है और ऐसे शिशु जो प्रीमेच्योर होते हैं उन्हें बहुत ही ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे यह के से प्रीमेच्योर बेबी की देखभाल की जाती हैं
प्रीमेच्योर बेबी क्या होता है
प्रीमेच्योर बेबी का होना यानी कि बच्चे का 37 में हफ्ते से पहले ही जन्म लेना ऐसे बच्चे जो समय से पहले ही जन्म ले लेते हैं उनकी शारीरिक संरचना कमजोर होती है उनका शरीर भी नाजुक होता है और कई बार तो उनके फेफड़े भी विकसित नहीं हुए होते ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मां को किसी प्रकार की मेडिकल समस्या हो तो समय से पहले ही बच्चे को जन्म दे देती है जैसे कि ब्लड शुगर होना या बीपी का बढ़ना हृदय संबंधी रोग आदि
प्रीमेच्योर बेबी होने के लक्षण
- शिशु को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है या वह जोर-जोर से सांस लेते हैं ऐसा इसलिए होता है कि उनके फेफड़े पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुए होते
- शिशु का वजन कम होना
- शिशु का साइज भी कम होना और सिर बड़ा होना
- शिशु की गतिविधियां कम होना
- प्रीमेच्योर बेबी के शरीर में फैट कम होता है इसलिए उन्हें सामान्य तापमान पर भी ठंड लगती है
- समय समय से पूर्व जन्म लिए हुए बच्चे को दूध पीने में भी दिक्कत हो सकती है
- प्रीमेच्योर बच्चे का नर्वस सिस्टम भी अच्छे से विकसित नहीं हुआ होता इसलिए उन्हें किसी भी गतिविधियों को समझने में समय लग सकता है
- प्रीमेच्योर बच्चे किसी भी गतिविधियों को जल्दी नहीं कर पाते हालांकि बाद में इस बात का पता नहीं चलता है
प्रीमेच्योर बच्चे की देखभाल करने के तरीके (प्रीमेच्योर बेबी केयर टिप्स )premature baby care tips
वैसे दो जो प्रीमेच्योर बेबी होते हैं उन्हें कुछ समय तक हॉस्पिटल में भी रखा जाता है जिसे हम निक्कू कहते हैं क्योंकि ऐसे बच्चे जो प्रीमेच्योर होते हैं उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने की समस्या हो सकती है इसलिए उन्हें हॉस्पिटल में ही रखा जाता है परंतु यदि बच्चा स्वस्थ है तो उसे घर भेज दिया जाता है तो जाने घर पर रीमिक्स और बच्चे की देखभाल कैसे करें
कंगारू केयर kangaroo care
कंगारू केयर का अर्थ होता है त्वचा से त्वचा का संपर्क जब आप हॉस्पिटल में रहते हैं तो डॉक्टर कंगारू केयर देने की सलाह देते हैं इस केयर को आपको घर पर भी देना होता है इसके से प्रीमेच्योर बच्चे जल्दी से ग्रो करते हैं इस केयर से उनका शरीर का तापमान सही बना रहता है और उनका वजन बढ़ना और उनके शरीर का विकसित होना अधिक तेजी से हो जाता है और इससे मां और बच्चे के बीच में एक प्रकार की बॉन्डिंग भी बनती है कंगारू केयर घर का कोई भी इंसान दे सकता है
स्तनपान है जरूरी breast feeding
एक नॉर्मल बच्चे से ज्यादा अक प्रीमेच्योर बच्चे को स्तनपान की बहुत ज्यादा जरूरत होती है और बच्चे को दो 2 घंटे में स्तनपान कराना होता है आवश्यक है की प्रीमेच्योर बच्चा स्तनपान नहीं कर पाता या थोड़ा कर पाता हूं तो ऐसे में आपको दूध निकालकर कटोरी और चम्मच से उसे दूध पिलाना चाहिए क्योंकि प्रीमेच्योर बच्चा अच्छे से विकसित नहीं हुआ होता इसलिए वह कभी-कभी स्तन से दूध नहीं पी पाता कभी भी अपने बच्चे 4 घंटे तक भूखा ना रहने दे इससे बच्चे को अनेक दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है
यदि बच्चा दूध बोतल से पीता है दूध बोतल से पीता है तो उसकी बोतल को अच्छी प्रकार से गर्म पानी में धो ले और थोड़ी देर धूप मैं शुखाए
बच्चे को घर से बाहर कम ही निकाले
जब बच्चा प्रीमेच्योर होता है उसे घर से बाहर कम ही निकालना चाहिए सिर्फ यदि डॉक्टर के पास जाना है तभी उसे घर से बाहर निकाले इसके अलावा उसे घर से बाहर ना निकालें क्योंकि प्रीमेच्योर बच्चे को संक्रमण होने का अधिक खतरा बना होता है
घर पर मेहमानों का आना जाना करें कम
घर पर मेहमानों का आना जाना कम करें क्योंकि जितने ज्यादा मेहमान होंगे उतना ही प्रीमेच्योर बच्चे को संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाएगा और यदि फिर भी कोई बच्चे से मिलता है तो उससे पहले उसके हाथ धुलवा ले या सैनिटाइज करवा ले पूरी तरह से स्वच्छता का ध्यान रखें यदि कोई व्यक्ति धूम्रपान या शराब का सेवन करता है तो उसे बच्चे से दूर ही रखें
बच्चे के टीकाकरण का रखें ध्यान
वैसे तो सभी बच्चों के टीकाकरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए परंतु जो प्रीटम बच्चे होते हैं उनके टीकाकरण का विशेष करके ध्यान रखना चाहिए समय-समय पर टीके लगवाने चाहिए और यह सब डॉक्टर की देखरेख में करना चाहिए
अपने बच्चे के विकास की डिटेल रखनी चाहिए
जो भी प्रीमेच्योर बेबी होते हैं उनके विकास की डिटेल रखनी जरूरी होती है कि उनका विकास सही प्रकार से हो रहा है या नहीं उन्हें किसी भी प्रकार की मेडिकल सहायता की जरूरत तो नहीं है इसलिए हर एक माता पिता को अपने बच्चे के विकास की डिटेल रखनी चाहिए
प्रीमेच्योर बच्चे की नींद का रखे पूरा ख्याल
माता-पिता को अपने प्रीमेच्योर बेबी की नींद का ख्याल अवश्य रखना चाहिए कि बच्चा अच्छी प्रकार से सो तो रहा है क्योंकि एक प्रीमेच्योर बच्चे को अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी होता है और उन्हें यह देखना चाहिए कि उसे सोते वक्त किसी भी प्रकार के सांस संबंधित समस्याओं का सामना तो नहीं करना पड़ रहा है
जब भी बच्चा सोता है तो उसके सोने की पोजीशन को देखना चाहिए उसे ज्यादातर पीठ के बल ही सुलाना चाहिए
प्रीमेच्योर बच्चे को अच्छे से गोद में लेना
जो प्रीमेच्योर बच्चे होते हैं उन्हें अच्छी प्रकार के गोद में लेना चाहिए क्योंकि उनका वजन कम होता है और उनकी हड्डियां भी नाजुक होती हैं इसलिए उन्हें अच्छे से गोद में उठाना चाहिए उन्हें गोद में उठाते समय उनके सिर के नीचे हाथ रखें और उसकी कमर और पीठ को सहारा देते हुए गोद में उठये
प्रीमेच्योर बच्चे को स्वास्थ्य सम्बंधित प्रॉब्लम
जब बच्चा प्रीमेच्योर पैदा होता है मतलब कि उसका शरीर अच्छी प्रकार से विकसित नहीं हुआ होता अनेक प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी प्रॉब्लम होने का खतरा हो सकता है जैसे कि
- एनीमिया खून की कमी होना क्योंकि प्रीमेच्योर बच्चे की लाल रक्त कोशिकाओं अच्छे प्रकार से विकसित नहीं हुई होती है
प्रीमेच्योर बच्चे को संक्रमण होने का अधिक खतरा होता है
प्रीमेच्योर बच्चे को सांस लेने में दिक्कत का सामना भी करना पड़ सकता हैं
प्रीमेच्योर बच्चे को अंधेपन का खतरा भी हो सकता है
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